Tuesday, November 3, 2009

नज़र को तेरा नज़ारा हसीन लगता है ..........

नज़र को तेरा नज़ारा हसीन लगता है
गीतकार --- सतीश मापतपुरी
सांवला रंग तेरा बेहतरीन लगता है । नज़र को तेरा नज़ारा हसीन लगता है ।
बाँहों में जब सिमट के आती हो , आसमां भी ज़मीन लगता है ।
तेरे नूरानी हुस्न के आगे , चाँद कितना मलिन लगता है ।
जब भी परदा नशीन होती हो , जुर्म तेरा संगीन लगता है ।